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व्रज – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा

व्रज – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा

Thursday, 30 June 2022

गुलाबी मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर श्वेत मोर चंद्रिका के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर श्वेत मोर चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

भलेई मेरे आये हो पिय

भलेई मेरे आये हो पिय ठीक दुपहरी की बिरियाँ l

शुभदिन शुभ नक्षत्र शुभ महूरत शुभपल छिन शुभ घरियाँ ll 1 ll

भयो है आनंद कंद मिट्यो विरह दुःख द्वंद चंदन घस अंगलेपन और पायन परियां l

'तानसेन' के प्रभु मया कीनी मों पर सुखी वेल करी हरियां ll 2 ll

साज - श्रीजी में आज गुलाबी मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी रंग की मलमल की गोल छोर वाली रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.

शृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, श्वेत मोर चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.


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