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व्रज – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा

व्रज – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा

Monday, 19 June 2023

खसखसी मलमल में गुलाबी छाप का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को खसखसी मलमल में गुलाबी छाप का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

साज – (राग : मल्हार)

ढाँय ढाँय नाचत मोर सुन सुन नवधनकी घोर, बोलत है चहुँ और अति ही सुहावने।

घुमड़त घनघटा निहार आगम सुख जाय विचार,

चातक पिक मुदित गावत द्रुमन बैठे सुहावने ।।१।।

नवल वनमें पहरे तन में कसुंभी चीर कनक वरण, श्याम सुभग ओढ़े वसन पीत सुहावने।

पावस ऋतु को रंग बिलास दास चतुर्भुज प्रभु के संग,

मोहित कोटि अनंग गिरिधर पिय अंग अंग अतिही सुहावने ।।२।।

साज – आज श्रीजी में खसखसी मलमल में गुलाबी छाप की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को खसखसी मलमल में गुलाबी छाप का पिछोड़ा धराया जाता है. पिछोड़ा रुपहली तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होता है परन्तु किनारी बाहर आंशिक ही दृश्य होती है अर्थात भीतर की ओर मोड़ दी जाती है.

श्रृं

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गार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का छेड़ान का शृंगार धराया जाता है.

मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर खसखसी छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं इसी प्रकार की एक व एक कमल माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल का एवं गोटी हक़ीक की आते हैं.

 
 
 

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