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व्रज - कार्तिक शुक्ल सप्तमी

व्रज - कार्तिक शुक्ल सप्तमी

Monday, 31 October 2022

आगम के शृंगार

कार्तिक शुक्ल नवमी (अक्षय नवमी) के दिन श्रीजी की पूरे दिन की सेवा का अधिकार द्वितीय गृह प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के आचार्यगण का होता है.

चूंकि इस वर्ष अक्षय नवमी के दिन अन्नकूट महोत्सव होगा अतः उस दिन के नियम के वस्त्र श्रृंगार अगले दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल दशमी के होगा.

इस कारण श्रीजी को कार्तिक शुक्ल दशमी के दिन धराये जाने वाले देव प्रबोधिनी उत्सव के आगम के वस्त्र श्रृंगार आज धराये जाएंगे.

सामान्यतया अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र, पीले ठाड़े वस्त्र एवं पाग पर सादी चन्द्रिका के यह वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग :सारंग)

अनत न जैये पिय रहिये मेरे ही महल l

जोई जोई कहोगे पिय सोई सोई करूँगी टहल ll१ll

शैय्या सामग्री बसन आभूषण सब विध कर राखूँगी पहल l

चतुरबिहारी गिरिधारी पिया की रावरी यही सहल ll२ll

साज – आज श्रीजी में श्याम आधारवस्त्र पर खण्डों में रूपहरी कूदती गायों के कशीदा वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा एवं पटका धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पिले रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.पन्ना एवं सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल ज़री चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, उसके ऊपर-नीचे मोती की लड़, नवरत्न की किलंगी, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.

पन्ना की चार मालाजी धरायी जाती है.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हारे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी सोना की छोटी आती है.

आरसी शृंगार में छोटी सोना की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.

संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.


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अनोसर में चीरा बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं.

 
 
 

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