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व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्दशी

व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्दशी

Friday, 15 April 2022


लाल सफ़ेद लहरियाँ के चाकदार वागा, श्रीमस्तक पर ग़्वाल पगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल सफ़ेद लहरियाँ का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का श्रृंगार धराया जायेगा.


कीर्तन (राग : घनाश्री)


यशोदा रानी जायो है सुत नीको l

आनंद भयो सकल गोकुलमें गोप वधु लाई टीको ll 1 ll

अक्षत दूब रोचन वंदन नंदे तिलक दहीं को l

अंचल वारि वारि मुख निरखत कमल नैन प्यारो जीकों ll 2 ll

अपने अपने भवन से निकसी पहेरे चीर कसुम्भी को l

'यादवेन्द्र' व्रजकुल प्रति पालक कंस काल भय भीको ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में लाल सफ़ेद लहरिया की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को लाल-सफ़ेद लहरिया का सूथन, चोली तथा चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल-सफ़ेद लहरिया के ग्वाल पगा के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका (मोरशिखा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

कमल माला धरावे.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती है.

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