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व्रज - चैत्र शुक्ल द्वितीया

व्रज - चैत्र शुक्ल द्वितीया

Sunday, 03 April 2022


श्याम छापा के खुलेबंध के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल रंग की धोती के ऊपर श्याम छापा के खुलेबंध के चाकदार वागा एवं चोली का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


नयनन लागी हो चटपटी l

मदनमोहन पिय नीकसे द्वार व्है, शोभित पाग लटपटी ll 1 ll

दूर जाय फीर चितयेरी मो तन, नयन कमल मनोहर भृकुटी l

'गोविंद' प्रभु पिय चलत ललित गति, कछुक सखा अपनी गटी ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में श्याम रंग के छापा की सुनहरी तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को लाल रंग की धोती के ऊपर श्याम रंग के छापा के खुलेबंध के चाकदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा,तुर्री सुनहरी तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज कमल माला धरावे.

श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. पट श्याम व गोटी चाँदी की आती है.

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