व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी(सप्तमी क्षय)
- Reshma Chinai
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व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी(सप्तमी क्षय)
Tuesday, 20 May 2025
श्वेत मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर श्वेत खंडेला का दोहरा क़तरा के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
आज धरी गिरधर पिय धोती
अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll
टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l
मुक्तामाल फूली वनराई, 'परमानंद' प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में श्वेत रंग की मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को श्वेत रंग की मलमल के धोती एवं पटका धराये जाते है. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, श्वेत खंडेला का दोहरा क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.
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