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व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण नवमी

व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण नवमी

Wednesday, 21 May 2025


गुलाबी मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार


राजभोग दर्शन –


साज – (राग : सारंग)


लालन पहिरत है नवचंदन l

विविध सुगंध मिलाय अरगजा व्रजयुवतिन मनफंदन ll 1 ll

शीतल मंद बहत मलयानिल मोहन मन को रंजन l

अंग अंग छबि कहा लों वरनो मनमथ मनके गंजन ll 2 ll

आरत चित विलोकत हरिमुख चपल चलन दृग खंजन l

‘गोविंद’ प्रभुपिय सदा बसो जिय गिरिधर विरह निकंदन ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की रुपहली तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी मलमल का पिछोड़ा धराया जाता हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.


श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग के ग्वाल पगा पर मोती की लड़, पगा चंद्रिका (मोरशिखा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में मोती के लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीनें लहरियाँ के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


पट ऊष्णकाल का व गोटी बाघ बकरी की आती है.

 
 
 

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