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व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी

व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी

Saturday, 17 May 2025


मोतिया मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर चीनमा पगा पर तुर्रा के श्रृंगार


ऊष्णकाल का प्रथम अभ्यंग


आज श्रीजी में ऊष्णकाल का प्रथम अभ्यंग होगा.

ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह सातों स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.


अभ्यंग स्नान मंगला दर्शन उपरान्त होता है जिसमें प्रभु को चन्दन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान बरास व गुलाबजल मिश्रित जल से संध्या-आरती दर्शन उपरान्त होता है.


जिस दिन अभ्यंग होवे, सामान्यतया उस दिन साज में शीतल भाव के कमल आदि के चित्राम से सुशोभित पिछवाई आती है.


अभ्यंग के भाव से आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीनाथजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


भलेई मेरे आये हो पिय

भलेई मेरे आये हो पिय ठीक दुपहरी की बिरियाँ l

शुभदिन शुभ नक्षत्र शुभ महूरत शुभपल छिन शुभ घरियाँ ll 1 ll

भयो है आनंद कंद मिट्यो विरह दुःख द्वंद चंदन घस अंगलेपन और पायन परियां l

'तानसेन' के प्रभु मया कीनी मों पर सुखी वेल करी हरियां ll 2 ll


साज - आज श्रीनाथजी में शीतल भाव के चित्राम की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की गयी है.


वस्त्र – आज श्रीजी को मोतिया (हल्के गुलाबी) मलमल का आड़बंद धराया जाता है.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया जाता है. मोती के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर मोतिया मलमल के चिनमां पगा के ऊपर सिरपैंच, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की सुन्दर थागवाली दो कलात्मक मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल व गोटी हकीक के आते है.



जिस दिन प्रातः अभ्यंग हो उस दिन शयन समय श्री नवनीतप्रियाजी के घर से सखड़ी की सामग्रियां (मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि श्रीजी के भोग हेतु पधारती हैं.

 
 
 

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