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व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी

व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी

Friday, 14 June 2024


चंदनी मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर बाकि गोल चंद्रिका के शृंगार


ऊष्णकाल का तृतीय अभ्यंग


विशेष - आज श्रीजी में ऊष्णकाल का तृतीय अभ्यंग होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह सातो स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.


अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं.


अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.


जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन अमुमन चितराम (चित्रांकन) की कमल के फूल वाली पिछवाई धराई जाती है एवं गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.


जिस दिन अभ्यंग और शीतल स्नान हो उस दिन शयनभोग की सखड़ी में विशेष रूप से विविध प्रकार के मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि अरोगाये जाते हैं.


राजभोग दर्शन


कीर्तन – (राग : सारंग)


पनिया न जैहोरी आली नंदनंदन मेरी मटुकी झटकिके पटकी l

ठीक दुपहरीमें अटकी कुंजनमें कोऊ न जाने मेरे घटकी ll 1 ll

कहारी करो कछु बस नहि मेरो नागर नटसों अटकी l

‘नंददास’ प्रभुकी छबि निरखत सुधि न रही पनघटकी ll 2 ll


साज - आज श्रीजी में चंदनी रंग के मलमल पर कमल के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को चंदनी मलमल का रूपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित आड़बंद धराया जाता है.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर चंदनी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, बाकि गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट ऊष्णकाल का व गोटी हक़ीक की छोटी आती है.

 
 
 

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