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व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया

व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया

Sunday, 21 May 2023

श्वेत धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर कूल्हे पर तीन स्वेत मोरपंख के जोड़ के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को श्वेत धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर कूल्हे पर तीन स्वेत मोरपंख के जोड़ का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

आज धरी गिरधर पिय धोती

अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll

टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l

मुक्तामाल फूली वनराई, 'परमानंद' प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll

साज - आज श्रीजी में श्वेत रंग की मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज प्रभु को श्वेत रंग की मलमल धोती पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, तीन श्वेत मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मोती के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.

कली आदि मालाए धराई जाती हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चाँदीके वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट ऊष्णकाल के राग-रंग का एवं गोटी हक़ीक की आती हैं.

 
 
 

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