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व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया

व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया

Thursday, 08 June 2024

चंदनी मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर चिनमा पग पर चंद्रिका के शृंगार

ऊष्णकाल का द्वितीय अभ्यंग

विशेष - आज श्रीजी में ऊष्णकाल का द्वितीय अभ्यंग होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और चार शीतल जल स्नान होते हैं. यह आठों स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.

अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं.

अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.

जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.

जिस दिन अभ्यंग और शीतल स्नान हो उस दिन शयनभोग की सखड़ी में विशेष रूप से विविध प्रकार के मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि अरोगाये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को शरबती मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर चिनमा पगा और तुर्रा का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

सोहत श्याम मनोहर गात l

श्वेत परदनी अति रसभीनी केसर पगिया माथ ll 1 ll

कर्णफूल प्रतिबिंब कपोलन अंग अंग मन्मथ ही लजात l

‘परमानंद’ दास को ठाकुर निरख वदन मुसकात ll 2 ll

साज - आज श्रीजी में सफ़ेद रंग के मलमल पर कमल के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को चंदनी मलमल की रूपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.

श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर चंदनी रंग की चिनमा पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झिने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.

 
 
 

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