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व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी

व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी

Monday, 02 June 2025


श्वेत मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के शृंगार, संध्या-आरती के उपरांत ऊष्णकाल का द्वितीय शीतल जल स्नान


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


आज धरी गिरधर पिय धोती

अति झीनी अरगजा भीनी पीतांबर घन दामिनी जोती ll 1 ll

टेढ़ी पाग भृकुटी छबि राजत श्याम अंग अद्भुत छबि छाई l

मुक्तामाल फूली वनराई, 'परमानंद' प्रभु सब सुखदाई ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में श्वेत रंग की मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को श्वेत रंग की मलमल के धोती एवं पटका धराये जाते है. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.


ऊष्णकाल का द्वितीय शीतल जल स्नान


आज श्रीजी में संध्या-आरती के उपरांत ऊष्णकाल का द्वितीय शीतल जल स्नान होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह सातो स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.


अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं.


अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.



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जिस दिन अभ्यंग और शीतल स्नान हो उस दिन शयनभोग की सखड़ी में विशेष रूप से विविध प्रकार के मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि अरोगाये जाते हैं.

 
 
 

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