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व्रज - फाल्गुन कृष्ण षष्ठी

व्रज - फाल्गुन कृष्ण षष्ठी

Tuesday, 22 February 2022

श्वेत लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गुलाबी ग्वालपगा के ऊपर पगा चंद्रिका के शृंगार


जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को श्वेत लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गुलाबी ग्वालपगा के ऊपर पगा चंद्रिका का शृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


श्याम सुभगतन शोभित छींटे नीकी लागी चंदनकी ।

मंडित सुरंग अबीरकुंकुमा ओर सुदेश रजवंदनकी ।।१।।

कुंभनदास मदन तनमन बलिहार कीयो नंदनंदनकी ।

गिरिधरलाल रची विधि मानो युवति जन मन कंदनकी ।।२।।


साज – आज श्रीजी में श्वेत मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद लट्ठा का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.


श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग के ग्वालपगा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धरायी जाती हैं.

आज एक माला अक्काजी की धरायी जाती हैं.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.

पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती है.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर पगा रहे लूम तुर्रा नहीं आवे.

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