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व्रज - फाल्गुन शुक्ल षष्ठी (द्वितीय)

व्रज - फाल्गुन शुक्ल षष्ठी (द्वितीय)

Wednesday, 19 February 2025


श्री गोकुल राजकुमार लाल रंग भीने हें ।

खेलत डोलत फाग सखा संग लीने हें ।।१।।

चित्र विचित्र सुदेश सबे अनुकुले हें ।

राजत रंग विरंग सरोजसे फुले हें ।।२।।

अेकनके कर कंठण जोरी जराय की ।

अेकनके पिचकाई सु हेम भराय की ।।३।।

अेसोई ध्यान सदा हरीको जीय जो रहे ।

तापे गदाधर याके भाग्यकी को रहे ।।४।।


श्वेत लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर जमाव का क़तरा एवं तुर्री के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : बिलावल)


वंदो मुनसाई नंदके जुवती झंडा केसें लेहोजु l ये सब सुंदरि घोखकि क्यों परिरंभन देहो ll 1 ll

फाल्गुन मास देत फगुआ अति क्रीड़ा रस खेलो l तनकी गति ओर भई बोली ढोली मेलो ll 2 ll

काहेको अकुलात हो मन को भायो करि हैं l हो भैया बलदेवको पृथक पृथक करि धरि है ll 3 ll

पांच सखी मिलि एक व्है बीच झंडा ले रोप्यो l फरहर रतिपति ऊपरे बहोत नगन जट ओप्यो ll 4 ll....अपूर्ण


साज – आज श्रीजी में श्वेत मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को श्वेत लट्ठा का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं गुलाबी रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.


श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती है.


संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.


श्रीमस्तक पर लूम तुर्रा रूपहरी आवे.

 
 
 

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