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व्रज – भाद्रपद कृष्ण अमावस्या (प्रथम)(कुशग्रहणी अमावस्या)

व्रज – भाद्रपद कृष्ण अमावस्या (प्रथम)(कुशग्रहणी अमावस्या)

Thursday, 14 September 2023

स्याम पीला लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर गोल चंद्रिका के श्रृंगार

पुष्टिमार्ग में आज की कुशग्रहणी अमावस्या जोगी-लीला के लिए प्रसिद्द है.

आज के दिन शंकर बालक श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए पधारे थे.(विस्तुत वर्णन अन्य पोस्ट में)

विशेष – आज की भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है.

इसे कुशग्रहणी अमावस्या इसलिए कहा जाता है कि इस दिन उखाड़ा गया दर्भ (दूब) निःसत्व नहीं होता एवं इसे आवश्यकतानुसार (ग्रहण आदि के समय) उपयोग में लिया जा सकता है.

राजभोग दर्शन -

कीर्तन – (राग : सारंग)

यहाँ अब काहे को दान देख्यो न सुन्यो कहुं कान l

ऐसे ओट पाऊ उठि आओ मोहनजु दूध दही लीयो चाहे मेरे जान ll 1 ll

खिरक दुहाय गोरस लिए जात अपने भवन तापर ईन ऐसी ठानी आनकी आन l

‘गोविंद’ प्रभु सो कहेत व्रजसुंदरी, चलो रानी जसोदा आगे नातर सुधै देहो जान ll 2 ll

साज - श्रीजी में आज स्याम पीला लहरियाँ की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया सफेद एवं चरणचौकी पर हरे रंग की बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी में आज स्याम पीला लहरियाँ का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मिना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर स्याम पीला लहरियाँ की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, गोल चंद्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली चार मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट गुलाबी व गोटी चाँदी की आती हैं.

 
 
 

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