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व्रज – भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी

व्रज – भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी

Thursday, 21 August 2025


गुलाबी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के श्रृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आशावरी)


तेरे लाल मेरो माखन खायो l

भर दुपहरी देखि घर सूनो ढोरि ढंढोरि अबहि घरु आयो ll 1 ll

खोल किंवार पैठी मंदिरमे सब दधि अपने सखनि खवायो l

छीके हौ ते चढ़ी ऊखल पर अनभावत धरनी ढरकायो ll 2 ll

नित्यप्रति हानि कहां लो सहिये ऐ ढोटा जु भले ढंग लायो l

‘नंददास’ प्रभु तुम बरजो हो पूत अनोखो तैं हि जायो ll 3 ll


साज - श्रीजी में आज गुलाबी मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है.

गादी तकिया के ऊपर सफेद मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर श्वेत मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा,लूम तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज श्रीकंठ में चार माला धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं..


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पट गुलाबी एवं गोटी चाँदी की धराई जाती हैं.

 
 
 

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