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व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वादशी (प्रथम)

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वादशी (प्रथम)

एकादशी व्रत

Tuesday, 23 August 2022

विशेष – आज श्रीजी को गुलाबी धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग एवं गोल चंद्रिका धराये जाते

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आशावरी)

तेरे लाल मेरो माखन खायो l

भर दुपहरी देखि घर सूनो ढोरि ढंढोरि अबहि घरु आयो ll 1 ll

खोल किंवार पैठी मंदिरमे सब दधि अपने सखनि खवायो l

छीके हौ ते चढ़ी ऊखल पर अनभावत धरनी ढरकायो ll 2 ll

नित्यप्रति हानि कहां लो सहिये ऐ ढोटा जु भले ढंग लायो l

‘नंददास’ प्रभु तुम बरजो हो पूत अनोखो तैं हि जायो ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी मलमल की धोती एवं पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र रूपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के सर्व-आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर लूम गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत एवं पीले पुष्पों की चार मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़िरोज़ी मीना के वेणुजी एवं वेत्र धराये जाते हैं.

पट गुलाबी एवं गोटी चाँदी की आती हैं.


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