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व्रज – भाद्रपद शुक्ल तृतीया

व्रज – भाद्रपद शुक्ल तृतीया

Monday, 18 September 2023

गुलाबी मलमल के धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर रेशम के दोहरा क़तरा के शृंगार

राजभोग दर्शन -

कीर्तन – (राग : सारंग)

महारास पूरन प्रगट्यो आनि l

अति फूली घरघर व्रजनारी श्री राधा प्रगटी जानि ll 1 ll

धाई मंगल साज सबे लै महा ओच्छव मानि l

आई घर वृषभान गोप के श्रीफल सोहत पानि ll 2 ll

कीरति वदन सुधानिधि देख्यौ सुन्दर रूप बखानि l

नाचत गावत दै कर तारी होत न हरख अघानि ll 3 ll

देत असिस शीश चरनन धर सदा रहौ सुखदानि l

रसकी निधि व्रजरसिक राय सों करो सकल दुःख हानि ll 4 ll

साज - श्रीजी में आज गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है.

गादी के ऊपर सफेद, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर ग़ुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, रेशम का दोहरा क़तरा,लूम एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में चार माला धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं..


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पट गुलाबी एवं गोटी मीना की धराई जाती हैं.

 
 
 

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