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व्रज – भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी

व्रज – भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी

Monday, 16 September 2024


स्याम चौफुली चूंदड़ी का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार


राजभोग दर्शन -


कीर्तन – (राग : सारंग)


ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l

कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll

और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l

ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll

रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l

‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll


साज - श्रीजी में आज स्याम चौफुली चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी में आज स्याम श्याम चौफुली चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के आते हैं.


श्रीमस्तक पर श्याम चौफूली चूंदड़ी की ग्वाल-पगा के ऊपर सिरपैंच, पगा चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में लोलकबिन्दी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.

पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं वैत्रजी धराये जाते हैं.


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पट श्याम व गोटी बाघ बकरी की आती है.

 
 
 

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