top of page
Search

व्रज – भाद्रपद शुक्ल द्वितीया

व्रज – भाद्रपद शुक्ल द्वितीया

Sunday, 17 September 2023

हरे एवं सफ़ेद रंग के लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव के क़तरा श्रृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

महारास पूरन प्रगट्यो आनि l

अति फूली घरघर व्रजनारी श्री राधा प्रगटी जानि ll 1 ll

धाई मंगल साज सबे लै महा ओच्छव मानि l

आई घर वृषभान गोप के श्रीफल सोहत पानि ll 2 ll

कीरति वदन सुधानिधि देख्यौ सुन्दर रूप बखानि l

नाचत गावत दै कर तारी होत न हरख अघानि ll 3 ll

देत असिस शीश चरनन धर सदा रहौ सुखदानि l

रसकी निधि व्रजरसिक राय सों करो सकल दुःख हानि ll 4 ll

साज – श्रीजी में आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर हरे एवं श्वेत लहरिया की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (झीने लहरिया व एक सोने के) धराये जाते हैं.


ree

पट हरा व गोटी मीना की आती है.

 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page