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व्रज – माघ कृष्ण षष्ठी

व्रज – माघ कृष्ण षष्ठी

Thursday, 01 February 2024


फ़िरोज़ी बड़े बूटा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर सीधी चंद्रिका के शृंगार


ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को फ़िरोज़ी साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा का शृंगार धराया जायेगा.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


जाको मन लाग्यो गोपाल सों ताहि ओर कैसें भावे हो ।

लेकर मीन दूधमे राखो जल बिन सचु नहीं पावे हो ।।१।।

ज्यो सुरा रण घूमि चलत है पीर न काहू जनावे हो ।

ज्यो गूंगो गुर खाय रहत है सुख स्वाद नहि बतावे हो ।।२।।

जैसे सरिता मिली सिंधुमे ऊलट प्रवाह न आवे हो ।

तैसे सूर कमलमुख निरखत चित्त ईत ऊत न डुलावे हो ।।३।।


साज – श्रीजी में आज फ़िरोज़ी रंग की साटन (Satin) की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज बड़े बूटा के रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.स्याम मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, नागफणी (जमाव) का कतरा तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में २ जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्रीकंठ में कमल माला एवं श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में गुलाबी मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.

पट फ़िरोज़ी व गोटी चाँदी की आती है.



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संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

 
 
 

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