top of page
Search

व्रज – माघ शुक्ल द्वितीया

व्रज – माघ शुक्ल द्वितीया

Friday, 31 January 2025


कत्थई ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर दोहरा क़तरा के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


गोपालको मुखारविंद जियमें विचारो ।

कोटि भानु कोटि चंद्र मदन कोटि वारो ।।१।।

कमलनैन चारूबैन मधुर हास सोहे ।

बंक अवलोकन पर जुवती सब मोहे ।।२।।

धर्म अर्थ काम मोक्ष सब सुख के दाता ।

चत्रभूज प्रभु गोवर्धनधर गोकूलके त्राता।।३।।


साज – श्रीजी में आज कत्थई रंग की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को कत्थई ज़री का सूथन, चोली, तथा घेरदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर कत्थई रंग के छज्जेदार चीरा के ऊपर सिरपैंच, दोहरा क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

पीले एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, चाँदी के वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


ree

पट लाल एवं गोटी चाँदी की आती है.

 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page