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व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया

व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया

Thursday, 30 November 2023

लाल साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पार चंद्रिका या क़तरा के शृंगार

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर चंद्रिका या क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आसावरी)

सुनि मेरो वचन छबीली राधा, ते पायो रससिन्धु अगाधा।।१।।

जे रस निगम नेति नेति भाख्यो, ताकौ तै अधरामृत चाख्यो।।२।।

सिवविरंचि के ध्यान न आवै, ताको कुंजनि कुसुम बिनावे।।३।।

तु वृषभान गोपकी बेटी, मोहन लालको भावते भेटी।।४।।

तेरो भाग्य मोहि क़हत न आवे, कछुक रस परमानंद गावै ॥॥५॥॥

साज – श्रीजी में आज लाल रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल साटन पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच क़तरा या चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.

श्रीकंठ में श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.


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संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

 
 
 

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