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व्रज - वैशाख कृष्ण षष्ठी

व्रज - वैशाख कृष्ण षष्ठी

Tuesday, 30 April 2024

राजाशाही (लाल सफ़ेद लहरियाँ) के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

श्रीलक्ष्मणगृह महामंगल भयो प्रगटे श्री वल्लभ पूरणकाम l

माधवमास कृष्णपक्ष शुभलग्न उदित एकादशी दूसरोयाम ll 1 ll

मंगल कलश चौक मोतिन के विविध विचित्र चित्र बने धाम l

मंगल गावत मुदित मानिनी नखसिख रूप कामसी वाम ll 2 ll

मिट्यो तिमिर दुःख द्वंद जगतको भोर भयो मानो मिट गई याम l

'माणिकचंद' प्रभु सदा बिराजो आय बसो श्री गोकुल गाम ll 3 ll

अखिल लोक जाकी आस करत है सो माखनदेखि अरे है ।

सोई अद्भुत गिरिवरहु ते भारे पलना मांझ परे है ।।६।।

सुर नर मुनि जाकौ ध्यान धरत है शंभु समाधि न टारी ।

सोई प्रभु सूरदास को ठाकुर गोकुल गोप बिहारी ।।७।।

साज – श्रीजी में आज राजाशाही (लाल सफ़ेद लहरियाँ) की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज प्रभु को राजाशाही (लाल सफ़ेद लहरियाँ) का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल सफ़ेद लहरियाँ की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.

चैत्री गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट लाल व गोटी मीना की आती है.

 
 
 

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