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व्रज - श्रावण कृष्ण प्रतिपदा

व्रज - श्रावण कृष्ण प्रतिपदा

Friday, 11 July 2025


(अधरंग) पतंगी धोती-पटका और श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर तुर्रा के श्रृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : मल्हार)


व्रज पर नीकी आजघटा l

नेन्ही नेन्ही बुंद सुहावनी लागत चमकत बीजछटा ll 1 ll

गरजत गगन मृदंग बजावत नाचत मोर नटा l

तैसेई सुर गावत आतक पिक प्रगट्यो है मदन भटा ll 2 ll

सब मिलि भेट देत नंदलाल हि बैठे ऊंची अटा l

‘कुंभनदास’ गिरिधरन लाल सिर कसुम्भी पीत पटा ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में (अधरंग) पतंगी रंग की मलमल की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र - श्रीजी को आज (अधरंग) पतंगी धोती एवं राजशाही पटका धराये जाते हैं.


श्रृंगार - प्रभु को आज ऊष्णकालीन हल्का छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर (अधरंग) पतंगी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.

तुलसी एवं श्वेत पुष्पों वाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. कली आदि माला धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झिने लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट राग रंग का एवं गोटी हक़ीक की आती हैं.

 
 
 

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