top of page
Search

व्रज - श्रावण शुक्ल प्रतिपदा

व्रज - श्रावण शुक्ल प्रतिपदा

Friday, 29 July 2022

हरे एवं सफ़ेद रंग के लहरिया का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव के क़तरा श्रृंगार

विशेष – आज की सेवा श्रीरंगा सखी की ओर से होती है एवं वस्त्र-श्रृंगार नियम का हरे-श्वेत लेहरिया का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर लहरियाँ की छज्जेदार पाग और जमाव (नागफणी) के कतरे का धराया जाता है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आशावरी)

गावो गावो मंगलचार वधावो नंदके l

आवो आँगन कलश साजिके दधिफूल नूतन डार ll 1 ll

उरसों उर मिलि नंदराय गोप सबै निहार l

मागध सुत बंदीजन मिलिके द्वार करत उच्चार ll 2 ll

पायो पूरन आसकरि सब मिलि देत असीस l

नंदरायको कुंवर लाडिलो जीओ कोटि बरीस ll 3 ll

तब व्रजराज आनंद मगन दीने बसन मंगाय l

ऐसी शोभा देखिके जन ‘सूरदास’ बलि जाय ll 4 ll

साज – श्रीजी में आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

चरणचौकी, पडघा, बंटा आदि जड़ाव स्वर्ण के होते हैं. चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है. दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं. सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.

वस्त्र – श्रीजी को आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं. कमल माला धरायी जाती है.

श्रीमस्तक पर हरे एवं श्वेत लहरिया की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (झीने लहरिया व एक सोने के) धराये जाते हैं.

पट हरा व गोटी चांदी की छोटी आती है.


ree

 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page