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व्रज – श्रावण शुक्ल षष्ठी

व्रज – श्रावण शुक्ल षष्ठी

Wednesday, 30 July 2025


लाल पीले लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर दुमाला पर कलगा (भीमसेनी क़तरा) के श्रृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : मल्हार)


चल सखी देखन नंद किशोर l

श्रीराधाजु संग लीये बिहरत रुचिर कुंज घन सोर ll 1 ll

उमगी घटा चहुँ दिशतें बरखत है घनघोर l

तैसी लहलहातसों दामन पवन नचत अति जोर ll 2 ll

पीत वसन वनमाल श्याम के सारी सुरंग तनगोर l

जुग जुग केलि करो ‘परमानंद’ नैन सिरावत मोर ll 3 ll


साज – श्रीजी में आज लाल पीले लहरियाँ की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज लाल पीले लहरियाँ का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के आते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटनों तक) श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल पीले लहरियाँ के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, कलगा (भीमसेनी कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.


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पट लाल व गोटी बाघ-बकरी की आती है.

 
 
 

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