top of page
Search

व्रज - श्रावण शुक्ल चतुर्थी

व्रज - श्रावण शुक्ल चतुर्थी

Thursday, 12 August 2021


विशेष – आज श्रीजी को नियम का मल्लकाछ-टिपारा का श्रृंगार धराया जाता है. मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) से बना है. ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. यह श्रृंगार चंचल, चपल, पराक्रमी प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है.


आज की सेवा श्री मन्मथमोदाजी के भाव से होती है अतः उपरोक्त श्रृंगार धराया जाता है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : मल्हार)


आज सखी देख कमलदल नैन l

शीश टिपारो जरद सुनेरी बाजत मधुरे बैन ll 1 ll

कतरा दोय मध्य चंद्रिका काछ सुनेरी रैन l

दादुर मोर पपैया बोले मोर मन भयो चैन ll 2 ll

नाचत मोर श्याम के आगे चलत चाल गज गैन l

श्रीविट्ठल गिरिधर पिय निरखत लज्जित भयो मैन ll 3 ll


साज – आज श्रीजी में श्री गिरिराज-धारण की लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई में श्री कृष्ण एवं बलदेव जी मल्लकाछ टिपारा के श्रृंगार में हैं एवं ग्वाल-बाल व गायें संग खड़ी हैं. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज एक आगे का पटका लाल पिली चूंदड़ी का एवं मल्लकाछ तथा दूसरा कंदराजी का स्याम सफ़ेद चूंदड़ी का पटका तथा मल्लकाछ धराया जाता है. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – श्रीजी को आज श्रीकंठ का शृंगार छेड़ान (कमर तक) का एवं बाक़ी शृंगार भारी धराया जाता है. स्वर्ण के सर्वआभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें लाल रंग की एकदानी चूंदड़ी के टिपारा के ऊपर मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरे कतरा और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. चोटी नहीं धरायी जाती है. श्रीकंठ में कमल माला धरायी जाती है. गुलाबी एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं. पट लाल व गोटी चांदी की बाघ-बकरी की आती है.

ree

 
 
 

Comments


© 2020 by Pushti Saaj Shringar.

bottom of page