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व्रज- अधिक श्रावण शुक्ल पंचमी

व्रज- अधिक श्रावण शुक्ल पंचमी

Sunday, 23 July 2023

मल्लकाछ-टिपारा के शृंगार

आज के मनोरथ-

राजभोग में माखन चोरी

शाम को गिरी कंदरा में गौ चारण

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आशावरी)

तेरे लाल मेरो माखन खायो l

भर दुपहरी देखि घर सूनो ढोरि ढंढोरि अबहि घरु आयो ll 1 ll

खोल किंवार पैठी मंदिरमे सब दधि अपने सखनि खवायो l

छीके हौ ते चढ़ी ऊखल पर अनभावत धरनी ढरकायो ll 2 ll

नित्यप्रति हानि कहां लो सहिये ऐ ढोटा जु भले ढंग लायो l

‘नंददास’ प्रभु तुम बरजो हो पूत अनोखो तैं हि जायो ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में माखन-चोरी लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज पचरंगी लहरियाँ का मल्लकाछ एवं पटका धराया जाता है. इस श्रृंगार को मल्लकाछ-टिपारा का श्रृंगार कहा जाता है. ठाड़े वस्त्र फ़िरोज़ी रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्वआभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें पचरंगी टिपारे के ऊपर मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं. चोटीजी नहीं धराई जाती हैं.

श्री कंठ में श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी और वेत्रजी (एक सोना) का धराये जाते हैं.


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पट लाल एवं गोटी चाँदी की बाघ-बकरी की आती हैं.

 
 
 

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