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व्रज – आषाढ़ कृष्ण सप्तमी

व्रज – आषाढ़ कृष्ण सप्तमी

Saturday, 10 June 2023

खसखसी (हल्की आसमानी) गुलाबी छाप की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर तुर्रा का शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को खसखसी (हल्की आसमानी) गुलाबी छाप की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर तुर्रा का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

सोहत लाल के परदनी अति झीनी।।

तापर एक अधिक छबि उपजत जलसुत पांति बनी कटी छीनी।।1।।

उज्जवल पाग श्याम शिर शोभित अलकावली मधुप मधुपीनी।।

‘कुंभनदास' प्रभु गोवरधनधर चपल नयन युवतीन बस कीनी।।2।।

साज – आज श्रीजी में खसखसी (हल्की आसमानी) गुलाबी छाप की रुपहली तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को खसखसी (हल्की आसमानी) रंग की गुलाबी छाप की गोल छोर वाली रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.

श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.

मोती के आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर खसखसी (हल्की आसमानी) रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में एक जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.

श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं वहीँ एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट ऊष्णकाल का व गोटी छोटी हकीक की आती है.

 
 
 

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