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व्रज - कार्तिक शुक्ल सप्तमी

व्रज - कार्तिक शुक्ल सप्तमी

Friday, 08 November 2024


स्याम ख़िनख़ाब के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका के शृंगार


ये इन्द्रमान भंग के दिन है अतः कार्तिक शुक्ल तृतीया से अक्षय नवमी तक इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं.


विशेष- विक्रम संवत २०६३ (वर्ष 2006) में आज सप्तमी के दिन पूज्य गोस्वामी तिलकायत श्री राकेशजी ने प्रभु श्री नवनीतप्रियाजी को व्रज पधराये थे.

व्रज में लगभग एक माह आनंद वृष्टि कर कर प्रभु मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी के दिन पुनः नाथद्वारा पधारे थे.


इस भाव से आज संध्या आरती समय मनोरथ व विशेष सामग्रियाँ अरोगायी जाती हैं.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : धनाश्री)


माधोजु राखो अपनी ओट ।

वे देखो गोवर्धन ऊपर उठे है मेघ के कोट ।।१।।

तुम जो शक्रकी पूजा मेटी वेर कियो उन मोट l

नाहिन नाथ महातम जान्यो भयो है खरे टे खोट ।।२।।

सात घौस जल वर्ष सिरानो अचयो एक ही घोट l

लियो उठाय गरुवो गिरी करपर कीनो निपट निघोट ।।३।।

गिरिधार्यो तृणावर्त मार्यो जियो नंदको ढोट l

‘परमानन्द’ प्रभु इंद्र खिस्यानो मुकुट चरणतर लोट ।।४।।


साज – श्रीजी में आज स्याम ख़िनख़ाब की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज स्याम ख़िनख़ाब की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर स्याम रंग के ग्वाल पगा पर सिरपैंच, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.

श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धरायी जाती हैं.

श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

आज कमल माला धराई जाती हैं.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट स्याम व गोटी बाघ-बकरी के आते है.



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प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती दर्शन उपरांत बड़े कर शयन समय छोटे (छेड़ान के) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर पगा बड़ा नहीं होता है अतः लूम, तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.

 
 
 

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