व्रज - चैत्र कृष्ण अष्टमी
- Reshma Chinai
- Mar 22
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व्रज - चैत्र कृष्ण अष्टमी
Saturday, 22 March 2025
हरी ज़री के चाकदार वागा, श्रीमस्तक पर फेटा पर फेटा का साज के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
आज शृंगार निरख श्यामा को नीको बन्यो श्याम मन भावत ।
यह छबि तनहि लखायो चाहत कर गहि के मुखचंद्र दिखावत ।।१।।
मुख जोरें प्रतिबिम्ब विराजत निरख निरख मन में मुस्कावत ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर श्री राधा अरस परस दोऊ रीझि रिझावत ।।२।।
साज – श्रीजी को आज हरी ज़री की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज हरी ज़री पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक एव सोना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हरे रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरशिखा, दोहरा कतरा एवं बायीं और शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबंदी-लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की गुलाबी थागवाली दो सुन्दर मालाजी व कमल माला धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट हरा व गोटी बाघ बकरी की आती है.

संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर पगा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे.
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