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व्रज – माघ कृष्ण नवमी

व्रज – माघ कृष्ण नवमी

Thursday, 23 January 2025


मेघश्याम साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चन्द्रिका के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : आसावरी)


गोपालको मुखारविंद जियमें विचारो ।

कोटि भानु कोटि चंद्र मदन कोटि वारो ।।१।।

कमलनैन चारूबैन मधुर हास सोहे ।

बंक अवलोकन पर जुवती सब मोहे ।।२।।

धर्म अर्थ काम मोक्ष सब सुख के दाता ।

चत्रभूज प्रभु गोवर्धनधर गोकूलके त्राता।।३।।


साज – श्रीजी में आज मेघश्याम रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – श्रीजी को आज मेघश्याम साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर मेघश्याम रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच और गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में चार माला एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.

श्रीहस्त में कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.


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पट मेघश्याम व गोटी चाँदी की आती है.

 
 
 

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