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व्रज - चैत्र शुक्ल सप्तमी

व्रज - चैत्र शुक्ल सप्तमी

Monday, 19 April 2021


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को स्याम चूंदड़ी का सूथन चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर जमाव का क़तरा धराया जाता है.


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : सारंग)


नयनन लागी हो चटपटी l

मदनमोहन पिय नीकसे द्वार व्है, शोभित पाग लटपटी ll 1 ll

दूर जाय फीर चितयेरी मो तन, नयन कमल मनोहर भृकुटी l

'गोविंद' प्रभु पिय चलत ललित गति, कछुक सखा अपनी गटी ll 2 ll


साज – आज श्रीजी में स्याम चूंदड़ी की सुनहरी तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को स्याम चूंदड़ी का सूथन, चोली एवं खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.


श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर स्याम चूंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा,तुर्री सुनहरी तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल के दो जोड़ी धराये जाते हैं.

श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. पट स्याम व गोटी चाँदी की आती है.

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