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व्रज - फाल्गुन शुक्ल षष्ठी

व्रज - फाल्गुन शुक्ल षष्ठी

Friday, 19 March 2021


श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.

ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.


मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को पिले लट्ठा का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा.

श्रीमस्तक पर पिले रंग की गोल पाग धरायी जायेगी.


कीर्तनों में राजभोग समय अष्टपदी गाई जाती है.

राजभोग के खेल में प्रभु के कपोल मांडे जाते हैं.

वैष्णवों पर फेंट भर कर गुलाल उड़ाई जाती है.


कल पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठाधीश पूज्य गौस्वामी तिलकायत श्री इन्द्रदमन जी (श्री राकेश जी) महाराज श्री का जन्मदिवस है.


राजभोग दर्शन -


कीर्तन – (राग : काफी)


तुम आवोरी तुम आवो l

मोहनजु को गारि सुनावो होरी रस रंग बढ्यो ll 1 ll

हरि कारोरी हरि कारो l यह द्वे बापन बिचवारो ll 2 ll

हरि नटवारी हरि नटवा l राधाजू के आगे लटुवा ll 3 ll

हरि मधुकररी हरि मधुकर l रस चाखत डोलत घरघर ll 4 ll

हरि खंजनरी हरि खंजन l राधाजु के मनको रंजन ll 5 ll

हरि रंजनरी हरि रंजन l ललिता ले आई अंजन ll 6 ll

हरि नागररी हरि नागर l जाको बाबा नन्द उजागर ll 7 ll

हम जानेरी हम जाने l राधा मोहन गहि आने ll 8 ll....अपूर्ण


साज - आज श्रीजी में आज सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, अबीर व चन्दन से कलात्मक खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को पिले लट्ठा का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं कटि-पटका धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. सभी वस्त्रों और श्रृंगारों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है. प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर लगाये जाते हैं.


श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. लाल व हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, चमक की गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. पाग पर भी अबीर, गुलाल से खेल खिलाया जाता है. लाल एवं श्वेत पुष्पों की सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट चीड़ का व गोटी फाल्गुन की आती है.


संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीमस्तक व श्रीकंठ के आभरण बड़े किये जाते हैं. शयन समय श्रीमस्तक पर सुनहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.


 
 
 

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