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व्रज – माघ शुक्ल चतुर्दशी

व्रज – माघ शुक्ल चतुर्दशी

Tuesday, 11 February 2025


श्वेत लट्ठा के घेरदार वागा ,लाल बंध एवं श्रीमस्तक पर लाल गोल पाग पर क़तरा के शृंगार


राजभोग दर्शन –


कीर्तन – (राग : बिलावल)


नंदसुवन व्रजभामते फाग संग मिल खेलोजु l

आज हमें तुम जानि है जो युवती दल पेलोजु ll 1 ll

रसिक सिरोमनि सांवरे श्रवन सूनत उठि धाये l

बलि समेत सब टेरिके घरघर तें सखा बुलाये ll 2 ll

बाजे बहुविध बाजही ताल मृदंग उपंग l

डिमडिम दुंदुभी झालरी आवाज कर मुख चंग ll 3 ll...(अपूर्ण)


साज – आज श्रीजी में श्वेत रंग की मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.


वस्त्र – आज श्रीजी को श्वेत लट्ठा का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं. लाल बंध धराया जाता हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.


श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.

श्रीमस्तक पर लाल रंग की पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.

श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.

आज त्रवल नहीं धराया जाता हैं कंठी धरायी जाती हैं.

गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.

श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.

पट चीड़ का एवं गोटी फागुण की आती है.



संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

 
 
 

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