व्रज – माघ शुक्ल नवमी
- Reshma Chinai
- Feb 6
- 2 min read
व्रज – माघ शुक्ल नवमी
Thursday, 06 February 2025
श्वेत लट्ठा के घेरदार वागा ,कटि (कमर) पर एक विशेष स्वर्ण का चपड़ास (घुंडी-नाका) एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
श्याम सुभगतन शोभित छींटे नीकी लागी चंदनकी ।
मंडित सुरंग अबीरकुंकुमा ओर सुदेश रजवंदनकी ।।१।।
कुंभनदास मदन तनमन बलिहार कीयो नंदनंदनकी ।
गिरिधरलाल रची विधि मानो युवति जन मन कंदनकी ।।२।।
साज – आज श्रीजी में श्वेत मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद रंग का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज प्रभु की कटि (कमर) पर एक विशेष सोने का चपड़ास (घुंडी-नाका) धराए जाने से त्रवल नहीं धराया जाता हैं. आज प्रभु को श्रीकंठ में हीरा की कंठी धराई जाती हैं.
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्तं में स्वर्ण के एक वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती हैं.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. घुंडी-नाका रहे. श्रीमस्तक

पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
Comments